A Secret Weapon For Shodashi
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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
It was listed here as well, that The good Shankaracharya himself mounted the image of the stone Sri Yantra, perhaps the most sacred geometrical symbols of Shakti. It could however be considered these days in the internal chamber of your temple.
सानन्दं ध्यानयोगाद्विसगुणसद्दशी दृश्यते चित्तमध्ये ।
She is venerated by all gods, goddesses, and saints. In some places, she is depicted wearing a tiger’s skin, which has a serpent wrapped about her neck as well as a trident in a single of her fingers whilst another retains a drum.
When Lord Shiva listened to with regards to the demise of his wife, he couldn’t Regulate his anger, and he beheaded Sati’s father. Even now, when his anger was assuaged, he revived Daksha’s existence and bestowed him having a goat’s head.
अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
To the 16 petals lotus, Sodhashi, who's the form of mother is sitting with folded legs (Padmasana) eliminates all the sins. And fulfils the many needs along with her sixteen different types of arts.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥
श्वेतपद्मासनारूढां शुद्धस्फटिकसन्निभाम् ।
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
संकष्टहर या संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि – sankashti ganesh chaturthi
श्रीमद्-सद्-गुरु-पूज्य-पाद-करुणा-संवेद्य-तत्त्वात्मकं
As one of several ten Mahavidyas, her Tale weaves throughout the tapestry of Hindu mythology, supplying a loaded narrative that symbolizes the triumph of excellent more than evil and also the spiritual journey Shodashi from ignorance to enlightenment.